उल्झन सुल्झादो
उल्झन सुल्झादो मेरे ख्वाजा पिया
तुम्हारे दर पे फैला दी है झोली
हिन्दुल्वली करदो मुरादें पूरी
मंगतों ने बना दी है एक टोली
सबके दिल में है मिलने की आरज़ू
बच्चे, बूढ़े और हैं कुछ तो हमजोली
उल्झन सुल्झादो मेरे ख्वाजा पिया
तुम्हारे दर पे फैला दी है झोली
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