Friday, October 15, 2010

उल्झन सुल्झादो


उल्झन सुल्झादो मेरे ख्वाजा पिया
तुम्हारे दर पे फैला दी है झोली

हिन्दुल्वली करदो मुरादें पूरी
मंगतों ने बना दी है एक टोली

सबके दिल में है मिलने की आरज़ू
बच्चे, बूढ़े और हैं कुछ तो  हमजोली

उल्झन सुल्झादो मेरे ख्वाजा पिया
तुम्हारे दर पे फैला दी है झोली

Thursday, October 14, 2010

गरीब नवाज



दुखियों के साथी गरीबों के मसीहा
मिलने की तमन्ना है जरा दीदार हो जाए

बिगड़ी बनानेवाला घर को सजानेवाला
झोली में कुछ डालदेना की बहार हो जाए

आयें है तेरे दर पे तो खाली नहीं है जाना
कुछ साथ ले जाने का करम हर बार हो जाए

दुखियों के साथी गरीबों के मसीहा
मिलने की तमन्ना है जरा दीदार हो जाए

दिल छोड़ तेरे दर पे अब  मुझको पड़ेगा जाना
करम  कर , के यहाँ आना बारम्बार हो जाए




Tuesday, October 12, 2010

दर-ए-ख्वाजा



क्या नजारा है तेरे दर का मेरे ख्वाजा पिया
बस एक सहारा है तेरे दर का मेरे ख्वाजा पिया

आप का  कुछ ऐसा करम हो गया
खिल उठा चेहरा  दिल नरम हो गया

बुलाना फिर से अपने दर पे खुदा के लिए 
वो मंजर मेरी आँखों का सितारा बन गया 


क्या नजारा है तेरे दर का मेरे ख्वाजा पिया
बस एक सहारा है तेरे दर का मेरे ख्वाजा पिया


दिल को ठंडक मिली और आराम आ गया 
ऐसा लगने लगा के मकाम आ गया 

आप मेरे हुए मै आप का हो गया 
मेरी डूबती हुई नय्या को किनारा मिल गया 

क्या नजारा है तेरे दर का मेरे ख्वाजा पिया
बस एक सहारा है तेरे दर का मेरे ख्वाजा पिया