Tuesday, October 12, 2010

दर-ए-ख्वाजा



क्या नजारा है तेरे दर का मेरे ख्वाजा पिया
बस एक सहारा है तेरे दर का मेरे ख्वाजा पिया

आप का  कुछ ऐसा करम हो गया
खिल उठा चेहरा  दिल नरम हो गया

बुलाना फिर से अपने दर पे खुदा के लिए 
वो मंजर मेरी आँखों का सितारा बन गया 


क्या नजारा है तेरे दर का मेरे ख्वाजा पिया
बस एक सहारा है तेरे दर का मेरे ख्वाजा पिया


दिल को ठंडक मिली और आराम आ गया 
ऐसा लगने लगा के मकाम आ गया 

आप मेरे हुए मै आप का हो गया 
मेरी डूबती हुई नय्या को किनारा मिल गया 

क्या नजारा है तेरे दर का मेरे ख्वाजा पिया
बस एक सहारा है तेरे दर का मेरे ख्वाजा पिया





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