Wednesday, January 19, 2011

सरकार की गली में


अरब की सरजमी पे कदम रखना है
प्यारे नबी की गलियों में भटकना है

उन गलियों की क्या दास्ताँ सुनाऊ
वहां पे तो सरकार का खजाना है

लुट सको तो लूटो दिन रात लुटता है
हुजुर के सदके का हर फर्द दीवाना है

उनकी गलियों की धुल ही मिल जाए मुझे
उन गलियों में ही अब दिल को लगाना है

खुदारा एक बार बुला लो मुझको भी
जिन गलियों में रहमत का खजाना है

ख़ुदारा उनका दामन न छुते कभी
सरकार की उम्मत में खुस सारा जमाना है