अरब की सरजमी पे कदम रखना है
प्यारे नबी की गलियों में भटकना है
उन गलियों की क्या दास्ताँ सुनाऊ
वहां पे तो सरकार का खजाना है
लुट सको तो लूटो दिन रात लुटता है
हुजुर के सदके का हर फर्द दीवाना है
उनकी गलियों की धुल ही मिल जाए मुझे
उन गलियों में ही अब दिल को लगाना है
खुदारा एक बार बुला लो मुझको भी
जिन गलियों में रहमत का खजाना है
ख़ुदारा उनका दामन न छुते कभी
सरकार की उम्मत में खुस सारा जमाना है