Thursday, November 18, 2010

धीरे धीरे



वो मेले वो तारागढ़ की पहाड़ी सब है निराले
हर तरफ से आ रहा काफिला तेरी ओर धीरे धीरे

कदम बढ़ता है खुदबखुद तेरी ओर धीरे धीरे
आया हूँ मैं खिचता हुआ तेरी ओर धीरे धीरे

नहीं मिलता वो अलफ़ाज़ तेरी शान में बयां के लिए
छोर कर सब पीछे आये है तेरी ओर धीरे धीरे

जिधर भी जावों लगे अभी बहूत कुछ है बाकी
खिंच लाया मुझे आनासागर अपनी ओर धीरे धीरे

रंगबिरंगे फूलों से सजी है तेरी अनोखी बगिया
जैसे दुनिया ही सिमट आई है तेरी ओर धीरे धीरे

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