हम न भूलेंगे सहादत हुसैन की
वो खिताबत हुसैन की वो तिलावत हुसैन की
प्यास की सिद्दत में भी मैदान को न छोड़ा
लड़ते रहे बढ़ते रहे अली के दुलारे
हम याद रखेंगे वो करामत हुसैन की
हम न भूलेंगे मुहब्बत हुसैन की
पढ़ते रहो कलमा लगाओं जोर से नारा
इस्लाम जिन्दा होता ही हर कर्बला के बाद
लखते जिगर थे फातमा नबी के दुलारे
हम न भूलेंगे सखावत हुसैन की
वो जंग के मैदान में भी नमाजें नहीं छोड़ी
हम न भूलेंगे इबादत हुसैन की
हम न भूलेंगे सहादत हुसैन की
वो खिताबत हुसैन की वो तिलावत हुसैन की