Wednesday, January 19, 2011

सरकार की गली में


अरब की सरजमी पे कदम रखना है
प्यारे नबी की गलियों में भटकना है

उन गलियों की क्या दास्ताँ सुनाऊ
वहां पे तो सरकार का खजाना है

लुट सको तो लूटो दिन रात लुटता है
हुजुर के सदके का हर फर्द दीवाना है

उनकी गलियों की धुल ही मिल जाए मुझे
उन गलियों में ही अब दिल को लगाना है

खुदारा एक बार बुला लो मुझको भी
जिन गलियों में रहमत का खजाना है

ख़ुदारा उनका दामन न छुते कभी
सरकार की उम्मत में खुस सारा जमाना है

4 comments:

  1. जी जाकिर भाई, बिलकुल दुरुस्त फ़रमाया ...सुक्रिया

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  2. यदि आप हिन्दू है तो हिन्दू कहलाने में संकोच कैसा. अपने ही देश में कब तक अन्याय सहेंगे. क्या आपको नहीं लगता की हमारी चुप्पी को लोग हमारी कायरता मानते हैं. एक भी मुसलमान बताईये जो खुद को धर्मनिरपेक्ष कहता हो. फिर हम ही क्यों..? सच लिखने और बोलने में संकोच कैसा. ?
    यदि आप भारत माँ के सच्चे सपूत है. धर्म का पालन करने वाले हिन्दू हैं तो
    आईये " हल्ला बोल" के समर्थक बनकर धर्म और देश की आवाज़ बुलंद कीजिये... ध्यान रखें धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कायरता दिखाने वाले दूर ही रहे,
    अपने लेख को हिन्दुओ की आवाज़ बनायें.
    इस ब्लॉग के लेखक बनने के लिए. हमें इ-मेल करें.
    हमारा पता है.... hindukiawaz@gmail.com
    समय मिले तो इस पोस्ट को देखकर अपने विचार अवश्य दे

    देशभक्त हिन्दू ब्लोगरो का पहला साझा मंच - हल्ला बोल

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  3. मेरे ब्लॉग पर पधारने के लिए आप सभी पाठक गन को मेरा धन्यवाद! उम्मीद करता हूँ इसी प्रकार से आप सब का प्रोत्साहन हमें निरंतर मिलता रहेगा.....

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